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कुम्हारों के प्रति सरकार का रवैया

अभी वर्तमान में कुम्हारों का स्थिति बहुत ही खराब चल रहा है। क्योंकि, पहले जैसा अभी के समय में लोग मिट्टी के समान उपयोग करना बंद कर दिए हैं। किसी भी सरकार द्वारा कोई सुविधा नहीं दीए जाने के कारण, इनके पास जो बना हुआ वस्तु भी रहता है। वह भी बिक नहीं पाता है, जिससे इनको नुकसान ही उठाना पड़ता है। बाकि मिट्टी के वस्तुएं, अपने सीजन में ही बिक पाते हैं। बाकी समय इनका बिकना मुश्किल हो जाता है।”

अर्जुन महतो बताते हैं कि, कुम्हार वर्षों से मिट्टी के बर्तन बनाते हुए अपने परिवार को पाल रहे हैं। मिट्टी के बर्तन बनाने के अलावा इनके पास और कोई दूसरा रोजगार नहीं है, न ही कृषि करने के लिए इनके पास भूमि है। और न अन्य साधन, जैसे-तैसे करके अपने परिवार को पाल रहे हैं।

मौजूदा दौर में एल्युमीनियम, थर्माकोल व प्लास्टिक बर्तनों का खूब चलन चला है, जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। हमारे पूर्वज अपने समय में मिट्टी, लोहे व काँसे के बने बर्तनों का उपयोग करते थे। इसलिए उन्हें मौजूदा दौर की बीमारियाँ नहीं हुईं। यदि आप भी, अपने पूर्वजों की भाँति स्वस्थ्य जीवन-यापन करना चाहते हैं तो, मिट्टी के बने बर्तनों का उपयोग भोजन बनाने के लिए करें, ताकि आपके स्वस्थ्य के साथ ही इन कुम्हारों की जीवन ज्ञापन में सुधार हो सके।
किसी भी बड़ी राजनीतिक दलों ने कुम्हारों के उत्थान के लिए कभी ध्यान नहीं दिया।
आजादी से आज तक किसी बड़ी राजनीतिक दलों ने लोकसभा सदस्य बनने कि मौका भी नहीं दिया गया।
किसी भी सरकार ने कुम्हारों की रोजी रोटी के लिए स्थाई निराकरण नहीं किया है।
इन सभी को ध्यान में रखते हुए देश भर के कुम्हारों से निवेदन है कि खुद को मजबूत बनाने के लिए सिर्फ और सिर्फ अपने स्वजाति को ही मत दे या उम्मीदवार न हो तो अपने मत का प्रयोग वैसे जगहों पर न करे।
धन्यवाद
अर्जुन महतो
राष्ट्रीय महासचिव
राष्ट्रीय कुम्हार महासभा

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